BSF Rising Day
सीमा सुरक्षा बल (BSF) : 1965 से 2025 — वीरता, अनुशासन और समर्पण की 61 वर्षों की गौरवगाथा... सीमा सुरक्षा बल (BSF) का सफ़र केवल वर्षों का आँकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, साहस और त्याग का वह अद्वितीय अध्याय है, जिसके हर पन्ने पर किसी ना किसी जवान का बलिदान, उसकी वीरता और उसका कर्तव्यबोध चमकता हुआ दिखाई देता है। 1965 के भारत–पाक युद्ध के बाद जब देश को एक ऐसी विशेष बल की जरूरत महसूस हुई जो सीमाओं पर चौबीसों घंटे प्रहरी बनकर खड़ा रहे, तब BSF की स्थापना की गई। आज, 2025 में, यह बल अपने 61वें स्थापना दिवस का गर्व से उत्सव मना रहा है। पिछले छह दशकों में BSF ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की है बल्कि युद्धकाल, आपदा, आंतरिक सुरक्षा और मानवीय संकट—हर परिस्थिति में अपनी क्षमता, संयम और वीरता का अद्भुत परिचय दिया है। चाहे राजस्थान का तपता रेगिस्तान हो या कश्मीर की माइनस 30 डिग्री वाली बर्फीली सीमाएँ, चाहे बांग्लादेश की हरियाली में छिपी चुनौतियाँ हों या पंजाब बॉर्डर पर सर्वदा सतर्क निगाहें—BSF के जवान हर मौसम, हर जोखिम के बीच देश की रक्षा में अडिग खड़े...