अहंकार
हम गहराई से आत्म-विश्लेषण करें कि कहीं ऐसा किसी प्रकार का अहंकारी व्यक्तित्व हमारे भीतर तो उत्पन्न नहीं हो रहा है। यदि कहीं ये झाड़-झंकार नजर आए तो तुरन्त सफाई करें अन्यथा धीरे-धीरे यह हमारे पूरी व्यक्तित्व पर छा जाएगा और हमें घोर नरक में धकेल देगा।
याद रखिए की अहंकारी व्यक्ति के मुख्य रूप से पाॅंच लक्ष्ण होते हैं।👇
1. दूसरों की छोटी-छोटी गलतियों पर भड़कता है व अपने बड़े-बड़े दोषों को भी स्वीकार नहीं करता।
2. महत्त्वपूर्ण पदों पर लम्बे समय तक बने रहता है। अपने से योग्य व्यक्तियों को उभरते देख परेशान हो उठता है। कभी अपने साथियों को नेतृत्व नहीं करने देता।
3. सदा विफलताओं का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ता है व सफलताओं का श्रेय स्वयं लेता है।
4. अपने समीप प्रशंसक व चापलूस रखना पसन्द करता है व जो उसको सचेत करे उसको लात मारने में भी संकोच नहीं करता।
5.ऐसे लोगों को छपास नमक बीमार होती है और ये जगह-जगह अपने नाम व फोटो छपवाना पसन्द करते है जातिवाद,भाई-भतिजावाद, अंधविस्वास, परिवारवाद,देववाद को बढ़ावा देता है। सदैव अपने चापलूसों से घिरे रहना पसन्द करता है और हमेशा वह सिर्फ अपने चापलूसों को ही उपहार, प्रोत्साहन प्रदान करता है।
अहंकारी के साथ स्वार्थी वही लोग जुड़ते हैं जो अपनी आत्मा का हनन कर भौतिक लाभों के चक्कर में लगे रहते हैं। जैसे ही अहंकारी का पतन होता है सभी उसका साथ छोड़कर भागते हैं व उसकी दुर्दशा होती है। अतः न तो स्वयं अहंकारी बने न कभी अहंकारी का साथ देकर पाप के भागी बनें।
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