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ध्रूमपान के नुकसान

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अगर हम धूम्रपान या सिगरेट पीने की बात करते हैं, तो हम सभी जानते है कि धूम्रपान हमारी सेहत के लिए कितना ही खतरनाक होता है, इससे हमारे फेफड़ों में कैंसर और ह्रदय की बीमारी होती है। हम जानते हैं कि धूम्रपान या सिगरेट पीने से हमें ऐसे रोग लगते हैं जिसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन फिर भी हम अपने आप को धूम्रपान से दूर नहीं कर सकते। सिगरेट पीने के नुकसान जानते हुए भी इसको छोड़ने की जहमत बहुत कम लोग उठाते हैं, लेकिन अगर आप भी है सिगरेट या धूम्रपान के शौकीन तो तुरंत इसको करें ना। धूम्रपान करने से लाखों लोग कैंसर के शिकार हो रहे हैं, लेकिन जब हमें धूम्रपान या किसी प्रकार के नशे की लत लग जाती है, तो उसे हम आसानी से नहीं छोड़ सकते। यह तभी संभव हो सकता है जब हम अपना मन बना लेते हैं अन्यथा हम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। धूम्रपान करने से हमारे शरीर को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे हमें कौन से नुकसान होते हैं आज हम आपको इस बारे में बतायेंगे। 1# कैंसर का रोग धूम्रपान करने या सिगरेट पीने से इसका सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है, जिसके कारण हमें फेफड़ों में कैंसर जैसी खतर...

सिलाव का खाजा

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खाजा एक प्रकार का पकवान है जो मुख्यतः मैदा, चीनी, घी या रिफाइंड तेल से बनाया जाता है। यह बिहार, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय है। ये सभी क्षेत्र एक समय मौर्य साम्राज्य के अंग थे। कहा जाता है कि दो हजार वर्ष पूर्व भी इन क्षेत्रों के उपजाऊ इलाकों में खाजा बनाया जाता था। बिहार के सिलाव तथा राजगीर दो ऐसे स्थान है, जहां का खाजा अन्य के मुकाबले बेहतर समझा जाता है। बिहार तथा पड़ोसी राज्यों से होते हुए खाजा अब अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो गया है। सिलाव में बनने वाला खाजा अपने स्वाद व खस्तापन के कारण काफी प्रसिद्ध हैं। सिलाव का खाजा बेहद प्रसिद्ध है इसलिए इस मिठाई को सिलाव खाजा के नाम से जाना जाता है. यहां का खाजा बेहद खास होता है जिसे 52 परतों में बनाया जाता हैऔर यह मिठाई दिखने में पैटीज़ जैसी होती है लेकिन स्वाद में मीठी होती है। यह सिलाव खाजा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटन कार्यक्रमों में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है। अब सिलाव के खाजे की बिक्री ऑनलाइन हो रही है, जिससे देश और विदेश के लोग भी घर बैठे सिलाव के खाजा का लुत्फ उठा रहे हैं...

लिट्टी-चोखा

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लिट्टी-चोखा।। यह बिहार का व्यंजन है और बिहारी पहचान वाले इस व्यंजन को लोग बड़े चाव से खाते हैं. यहां के लोगों ने इसे दूसरे राज्यों व देशों में भी फैलाया है। आज लिट्टी चोखा के स्टॉल हर शहर में दिख जाते हैं. लिट्टी चोखा खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है, ये सेहत के लिए भी काफी फायेदमंद होता है। गेहूं के आटे में चना सत्तू ,अदरक, लहसुन, अजवाइन, काला जीरा, नींबू, आदि को भरकर इसे आग पर पकाया जाता है. फिर देसी घी में डुबोकर इसे खाया जाता है. जिन्हें कैलोरी की फिक्र है, वो बिना घी में डुबोये लिट्टी का स्वाद ले सकते हैं. तला-भुना नहीं होने की वजह से ये सेहत के लिए अच्छा है. इसे ज्यादातर बैंगन,आलू , टमाटर के चोखे ,चटनी के साथ खाया जाता है. बैंगन को आग में पकाकर उसमें टमाटर, मिर्च और मसाले को डालकर चोखा तैयार किया जाता है। इसका इतिहास मगध काल से जुड़ा है. कहा जाता है कि मगध साम्राज्य के दौरान लिट्टी चोखा प्रचलन में आया. बाद में ये मगध साम्राज्य से देश के दूसरे हिस्सों में भी फैला. मगध बहुत बड़ा साम्राज्य था. इसकी राजधानी पाटलीपुत्र हुआ करती थी, जिसे आज बिहार की राजधानी पटना ...

दिमाग का खुराक

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अपने दिमाग़ को ख़़ुरुराक दीजिए (Feed Your Mind) जिस तरह हमारे शरीर को हर रोज़ अच्छे खाने की ज़रूरत होती है, उसी तरह हमारे मस्तिष्क को भी हर रोज़ अच्छे विचारों की ज़रूरत होती है। इस वाक्य में सबसे अहम शब्द, “अच्छा खाना, और अच्छे विचार” हैं। अगर हम अपने शरीर को रोज़ सड़े - गले खाने आरै अपने दिमाग़ को बुरे विचारों की ख़ुराक दें, तो हमारा शरीर और दिमाग़ बीमार पड़ जाएँगे। सही पटरी पर बने रहने के लिए हमें अपने दिमाग को अच्छी खुराक देने की जरूरत है।

सच्चे और कच्चे दोस्त की पहचान।

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दोस्ती इस दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक है। देखते है। दोस्तों को पहचानने का तरीका: सच्चे दोस्त की पहचान -अच्छा दोस्त सिर्फ मीठी-मीठी बातें नहीं कर सकता। अच्छे दोस्त का फर्ज है कभी-कभी कड़वा सच बोल कर अपनों को सावधान करता रहे। -एक सच्चा दोस्त वह होता है, जो आपकी तमाम कमज़ोरियां जानने के बावजूद कभी भी गुस्से में आकर उसे जताकर आपको शर्मिंदा न करे। -सच्चा दोस्त तब भी आपका दर्द समझ जाता है, जब आप दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रहे होते हैं कि सबकुछ ठीकठाक है। -सच्चा दोस्त गलती करने पर फौरन सलाह देता है और आपके पीछे हमेशा आपका बचाव करता है। -सच्चे दोस्त की पहचान संकट के वक्त के साथ दोस्त के अच्छे वक्त में भी होती है। जो अपने दोस्त की सफलता को एंजॉय कर सके, वही सच्चा दोस्त है। कई बार संकट में दो लोग अच्छे दोस्त नजर आते हैं लेकिन एक की सफलता दूसरे को उससे दूर कर देती है। -जरूरी नहीं किअच्छे दोस्त की चॉइस और सोचने का तरीका आपसे मिलता जुलता हो। इतना सबके बाद वह आपको अच्छी तरह से समझता है। दोनों दोस्त जानते हैं कि वो एक-दूसरे को बदल नहीं सकते और न ही ऐसा करने की कोशिश करते...

जिंदगी जिंदाबाद

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ज़िन्दगी से प्यार करना ज़िन्दगी को जीना ही है। ज़िन्दगी से रुठना ज़िन्दगी को दुख पहुंचाना है। यह एहसास कि हम यहां जितना खुशियां बांट सकें हमें ज़िन्दगी को जीने की असली वजह देगा। क्यों न हम जिंदगी को जीना शुरू करें ताकि हमारी बोझिल लगने वाली सोच में बदलाव आ सके और एक नया हौंसला मिल सके जीने का। खामोशी से विचार कर खुद से मिला जा सकता है, खुद को जाना जा सकता है। जो की एक सुखद एहसास है। भावनाओं को खुद से लिपट जाने दो और एहसास कराओ खुद को कि ज़िन्दगी वाकई बेहद खूबसूरत है...

पर उपदेश कुशल बहुतेरे

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पर उपदेश कुशल बहुतेरे । महान रचनाकार ही ऐसी कृतियों का सृजन करते हैं जो कालजयी होने के साथ-साथ उनकी मौलिक प्रतिभा का निदर्शन कराते हैं। ऐसी रचनाओं में वे ऐसे मूल्यों को प्रकट करते हैं जो शाश्वत होने के साथ-साथ मानव के लिए पथ-प्रदर्शक का कार्य करता है। महाकवि तुलसीदास एक ऐसे ही रचनाकार हैं। उनके द्वारा रचित रामचरितमानस में ऐसी अनेक सूक्तियां भरी पड़ी हैं, जो मानव जीवन को प्रेरणा देने वाली और उचित दिशा दिखाने वाली हैं। इसी प्रकार की एक सूक्ति है:- “पर उपदेश कुशल बहुतेरे।” प्रस्तुत सूक्ति का प्रयोग तुलसीदास ने मेघनाद वध के बाद किया था। मेघनाद के वध का समाचार सुनकर रावण मूर्छित हो जाता है परंतु जब मंदोदरी आदि सभी स्त्रियां विलाप करने लगती हैं तो रावण उन सबको ज्ञान का उपदेश देकर सांत्वना देने की कोशिश करता है। रावण उन्हें जगत की नश्वरता का उपदेश देकर समझाने का प्रयत्न करता है। इसी पर तुलसीदास ने इस उक्ति का कथन किया है तिन्हहिं ग्यान उपदेसा रावन, आपुन मंद कथा सुभ पावन। पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे अचरहिं ते नर न घनेरे।। अभिप्राय यह है कि दूसरों को उपदेश देने में तो लोग बहुत कुशल हो...