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Bathua

नवंबर दिसंबर के महीने में बिहार में कई प्रकार की साग मिलती है जिसमें सरसों चना खेसारी का साग लोग खूब पसंद करते हैं इन सब की खेती भी की जाती है पर एक सांग बिहार में इसी सीजन में होता है जो सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है पर इसकी खेती नहीं होती यह एक प्रकार का घास है जो खुद ब खुद उगता है पर इतना ज्यादा लोकप्रिय है कि लोग इसे किसी भी प्रकार का साग बनाएं उसका टेस्ट बढ़ानेके लिए जरूर मिलाते है। इस साल को बिहार में बथुआ के साथ के नाम से जाना जाता है हालांकि बिहार में जो बथुआ मिलता है उसमें भी कई प्रकार की प्रजाति होती है हरी वाली और लाल वाली ज्यादा फेमस है सरसों का साग हो या चने के अगर उसमें बथुआ नहीं मिलाया जाएगा तो उसका टेस्ट बढ़िया नहीं हो सकता है। मसूर और चने की दाल में इसे मिलाकर डाल सागा बनाया जाता है। उसमें लहसुन अदरक अलग से ऐड किया जाता है यह जो आइटम होता है ठंड के दिन में शरीर के लिए रामबाण औषधि का भी काम करता है साथ ही साथ टेस्ट इतना बढ़िया होता है अगर आपने एक बार खा लिया तो बार-बार खाने को मन करेगा सरसों मकई और आलू के खेत में बथुआ खुद-ब-खुद उगता है जब यह छोटा होता है तब इसका टेस्ट सबस...

अहंकार

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हम गहराई से आत्म-विश्लेषण करें कि कहीं ऐसा किसी प्रकार का अहंकारी व्यक्तित्व हमारे भीतर तो उत्पन्न नहीं हो रहा है। यदि कहीं ये झाड़-झंकार नजर आए तो तुरन्त सफाई करें अन्यथा धीरे-धीरे यह हमारे पूरी व्यक्तित्व पर छा जाएगा और हमें घोर नरक में धकेल देगा। याद रखिए की अहंकारी व्यक्ति के मुख्य रूप से पाॅंच लक्ष्ण होते हैं।👇   1. दूसरों की छोटी-छोटी गलतियों पर भड़कता है व अपने बड़े-बड़े दोषों को भी स्वीकार नहीं करता। 2. महत्त्वपूर्ण पदों पर लम्बे समय तक बने रहता है। अपने से योग्य व्यक्तियों को उभरते देख परेशान हो उठता है। कभी अपने साथियों को नेतृत्व नहीं करने देता। 3. सदा विफलताओं का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ता है व सफलताओं का श्रेय स्वयं लेता है। 4. अपने समीप प्रशंसक व चापलूस रखना पसन्द करता है व जो उसको सचेत करे उसको लात मारने में भी संकोच नहीं करता। 5.ऐसे लोगों को छपास नमक बीमार होती है और ये जगह-जगह अपने नाम व फोटो छपवाना पसन्द करते है जातिवाद,भाई-भतिजावाद, अंधविस्वास, परिवारवाद,देववाद को बढ़ावा देता है। सदैव अपने चापलूसों से घिरे रहना पसन्द करता है और हमेशा वह सिर्फ अपने चापलूसों को ही...

पदमश्री पतायत साहू

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लुंगी और गमछा में जिस व्यक्ति को आप दिख रहे हैं उनका नाम पतायत साहू है।। पतायत जी को इस बार पद्मश्री पुरस्कार मिला है। पतायत जी ओडिशा के कालाहांडी जिले के रहने वाले हैं। इनके गांव का नाम नान्दोल है। पतायत जी अपने घर के पीछे 1.5 एकर के ज़मीन में 3000 से भी ज्यादा medicinal प्लांट उगाए हैं। यह काम वो पिछले 40 साल से कर रहे हैं। पतायत जी आर्गेनिक खेती पर जोर देते हैं। अपने प्लांट में कभी भी केमिकल फ़र्टिलाइज़र का इस्तेमाल नहीं करते हैं।पतायत जी दिन में खेती करते हैं और रात को वैद्य बन जाते हैं। लोगों से पैसे की मांग नहीं करते हैं। पतायत जी के खेत में जो 3000 प्लांट है उस मे से 500 तो वो भारत के अलग अलग जगह से संग्रह किये हैं बाकी सब कालाहांडी के जंगल से संग्रह किये हैं।।उनके बगीचे में ऐसा कई सारे मेडिसिनल प्लांट हैं जो किस और जगह नहीं मिलती है। पतायत जी को बहुत सारे बधाई। जाते जाते एक बात जरूर कहूंगा आप लोग नेशनल मीडिया में कभी भी पतायत जी के बारे में नहीं सुने होंगे न उन्हें प्लांट के बारे में।

आध्यात्म

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क्या हम अध्यात्म मार्ग पर हैं.? जब भी हम आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ते हैं, नियमित रूप से ध्यान, जागरूक व विवेक में रहते हुए जीवन की गहराई में उतरने लगते हैं तो निश्चीत रूप से हमारे जीवन में अद्भुत बदलाव आने लगते हैं।  हमारे व्यक्तित्व से जड़ता दूर जाने लगती है एवं हम आत्मिक चैतन्य भाव से जुड़ने लगते हैं और जीवन की धन्यता को अनुभव करते हैं, अहोभाव में, धन्यवाद भाव में जीने लगते हैं, शिकायत भाव विदा हो जाता है और जीवन की छोटी-छोटी बातों का आनंद लेने लगते हैं। बिना किसी कारण के आनंद भाव बना रहता हैं।  जहां सांसारिक लोग व्यक्ति के साथ भी वस्तु की तरह व्यवहार करते हैं वहीं एक आध्यात्मिक व्यक्ति वस्तु के साथ भी एक व्यक्ति की तरह एक सम्मान, आदर सब प्राणियों, पेड़, पौधे, पहाड़, पत्थर, यह चांद, तारे , यह विराट आकाश सब के साथ एक आत्मियता महसूस करता है। एक संवेदनशीलता, जागरूकता के साथ जीते हुए हर पल का आनंद लेता हैं। अपनी आध्यात्मिक ऊंचाई को नापने का सही तरीका तो यही होगा कि हम अपने आप को कल की अपेक्षा आज कुछ बेहेतर, अधिक आनंदित, अधिक करुणामय, परोपकार भाव से व प्रेम से भरे हुए हैं तो हम...

आओ घूमे केरल

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केरल में तीन चीजें देखने लायक हैं - पहाड़, बैकवाटर्स और बीच...  पहाड़ों में मुन्नार सबसे ज्यादा फेमस है... इसके अलावा थेक्कड़ी, वायनाड़ और कुछ स्थानीय हिल स्टेशन भी हैं... अगर आप कभी मुन्नार जाओ, तो कम से कम 2 दिन केवल मुन्नार के लिए रखना... इनमें से एक दिन आप चले जाना टॉप स्टेशन की तरफ... मुन्नार से टॉप स्टेशन वाले रूट पर कई दर्शनीय स्थल हैं - रोज गार्डन, एलीफेंट राइड, माटुपट्टी डैम, इको पॉइंट, कुंडाला डैम और दूर तक फैले अनगिनत टी गार्डन... अगर आप थेक्कड़ी जाओ, तो सफारी जरूर करना... यह जंगल सफारी भी हो सकती है और लोकल जीप सफारी भी हो सकती है... अगर अवेलेबल हो, तो पेरियार लेक में बोटिंग भी की जा सकती है... इनके अलावा शाम को कलरीपट्टू व कथकली शो भी देखे जा सकते हैं... ये दोनों शो एक-एक घंटे के होते हैं और 200-250 रुपये प्रति शो के लगते हैं... इनके अलावा किसी स्पाइस गार्डन की विजिट भी कर सकते हो... यह गाइडेड टूर होता है... कुछ गार्डन में विजिट करने के पैसे लगते हैं और कुछ में पैसे नहीं लगते... आप चाहो, तो यहीं से मसाले व आयुर्वेदिक दवाएँ भी खरीद सकते हो...  अब अगर बैकवाटर्स की बात कर...

किताबें पढ़ने के फायदे

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हर किसी को किताब पढ़ना जल्‍दी पसंद नहीं आता। कई बोलते हैं उनको किताब पढ़ने से बोरियत होती है तो किसी का कहना होता है कि उनके पास इतना समय ही नहीं है। पर वहीं दूसरे लोग हैं जिन्‍हें किताब का एक पन्‍ना पढ़े बिना नींद ही नहीं आती।  किताब पढ़ना एक नशे के समान होता है। किताब पढ़ने हमारे शरीर को कई ढ़ेर सारे लाभ मिलते हैं। उसमें से एक है अच्‍छी नींद का आना। रात को अगर अच्‍छी किताब पढ़ कर सोया जाए तो दूसरा दिन काफी ऊर्जा भरा होता है। हर इंसान को हर दिन आधे घंटे के लिये जरुर किताब पढ़नी चाहिये। किताब पढ़ने से तनाव और अकेलापन भी दूर होता है। बता दें कि ज्यादातर लोग किताबों को शौक या किसी मकसद के लिए बढ़ते है लेकिन क्या आपको पता है कि पुस्तकें पढ़ने से सेहत संबंधी कई फायदे होते है। अगर आप नहीं पढ़ते तो अब इस शौक को अपनी आदत बना लें । जल्द ही आपको किताबेे पढ़ने से होने वाले फायदों के बारे में पता लग जाएंगा।  प्रतिदिन किताबें पढ़ने से निम्नलिखित फायदे होते हैं। ●दिमाग का अभ्यास किताबें पढ़ने से दिमाग का अभ्यास होता है और जाहिर सी बात है जब दिमाग का अभ्यास होगा तो दिमाग स्वस्थ भी रहेगा। ●त...

एकांत और अकेलापन

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एकांत और अकेलेपन में बहुत अंतर है । दोनों एक जैसे लगते हैं, पर ऐसा है नहीं ।  एकांत और अकेलापन दोनों में हम अकेले ही तो होते हैं, परंतु अंतर क्या है दोनों में ? भारी अंतर है दोनों के बीच । अकेलापन तब होता है, जब हम अपने अकेले रहने से व्यथित होते हैं, दुखी होते हैं, परेशान होते हैं । हमारा मन उस अकेलेपन से भागने लगता है और अपनों की भीड़ में समा जाना चाहता है । अकेलेपन में एक दुखद और कष्टप्रद अनुभव होता है । एकांत वह है, जहाँ हम अकेले होने में प्रसन्न एवं खुश होते हैं । एकांत हमें शांति एवं सुकून प्रदान करता है । एकांत में हमारे जीवन का सुमधुर संगीत फूटता है । अकेलापन एक सामान्य व्यक्ति के जीवन की सहज घटना है । सामान्य रूप से व्यक्ति अकेलेपन का अनुभव करता है; जबकि एकांत योगी का साथी-सहचर है । सामान्य व्यक्ति अकेलेपन से घबराता है और उससे बचना चाहता है और इससे बचने के लिए वह भीड़ की और भागता है । उसके लिए अकेलापन किसी दंड से कम नहीं है; क्योंकि उसका मन कभी भी अकेलेपन के इस अनुभव को बरदाश्त नहीं कर पाता है । इसके विपरीत योगी को कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होता है, बल्कि उसे तो भीड़ से ...